: एक समय की बात हे ,एक जंगल मे कही सारे प्राणी बड़े प्यार से रहते थे उसी जंगले में एक
बदक और एक कव्वा भी रहता था ,बदक को अपने हुस्न पे बोहोत घमंड था और ओ खुद को बोहोत
होशियार भी समजता था उसके जादा मित्र भी नहीं थे ,दूसरी तरफ कव्वा एक सुशिल और शांत पक्षी
था उसका स्वाभाव बोहोत अच्छा था और दुसरो की मदत केसे करनी चाहिए ये उसको अच्छी
तरीखे से आता था
और एक दिन फिर जंगल की एक सुनहरे दोपहर को
कोव्वा बोला बदक से
कोव्वा : अरे बदक साहब किधर जा रहे हो आज तो कितनी अछि धुप खिली हे चलो कही जाते हे या
फिर खेलते हे .
बदक : खेल ,घुमने ओ भी तेरे साथ हाहा हाहा हाहा (बदक हस्ते हुए बोला )
अरे काले कोव्वे तूने सोचा भी केसे की में तेरे साथ खेलने आऊंगा और तेरे साथ घुमने जाऊंगा
जरा अपनी शक्ल तो देखो और अपना रहन सहन तो देखो ,पहले अपना रंग गोरा करके आओ
फिर मेरे साथ खेलना .
कोव्वा : अरे बदक साहब खेलने के लिए किसका रंग नहीं देखा करते ये तो मेरा कुदरती रंग हे
इस्पे मेरी क्या गलती हे वेसे भी हम और हमारे पूर्वज इसी जंगल में बरसो से रहते आये हे
उनोने तो ऐसा कभी नहीं किया होगा की काले रंग वाले से मत खेलो गोरे रंग वाले से खेलो
ये भेदभाव क्यों साहब .
बदक : ये सब में नहीं जनता ,और वेसे भी मेरे दोस्त तुज्पे हस्ते रहते हे की ये देखो काला कोव्वा आया हे .
मेरा रहन सहन अलग हे में तो उची कद का पक्षी हु जाओ उस सुवर के साथ खेलो
कोव्वा : बदक साहब इतना घुस्सा ठीक नहीं हे और इतना घमंड भी अच्छा नहीं हे ,एक न एक दिन
तो सबको जाना हे तो क्यों न हम मिलजुल के रहे
बदक : में ओ सब कुछ नहीं जानता ,बस मुझसे दूर रहो
कोव्वा: जेसी आपकी मर्जी मिलते हे
( ये बोलके कोव्वा चला जता हे )
लेकिन उनकी पूरी बाते एक कोबरा साप सुनते रहता हे और साप को बदक को देखते की मु पे पानी
आ जाता हे और साप खुद से बोलता हे
साप खुदसे : कितना लाजिस बदक हे खाने में कितना मजा आयेंगा ,लेकिन ये मेरे चंगुल में फसेगा
केसे?
( साप को एक तरकीब सूचि दुसरे दिन साप बदक से )
साप: अरे बदक कहा जा रहे हो
बदक : किधर नहीं और आप ?
साप : बस ऐसे ही टहलने चला था तो बिच में ओ काला कोव्वा मिला और बोला की चलो घुमने
मेने बोला की पागल हो क्या तेरे साथ क्यों चलू भाग यहाँ से .
बदक : हा काला कोव्वा हात धोके पीछे ही पड़ा रहता हे .
साप : हा न चलो हम दोनों जाते है नदी के उस पार
बदक : हा चलो मस्त खेलते हे में अपने दोस्तों को बुलाता हु
साप : दोस्तों को क्यों हम ही चलते हे न अकेले मस्त खेलेंगे में मेरे दोस्तों को बोलता की पार्टी की
वेवस्था करकेरखो .
बदक : वा पार्टी मजा आयेंगा चलो
( दोनों चले जाते है ,साप मन में ही मुस्कुराता हे )
नदी के उस पार जाके साप बदक से
साप : बदक तुम जरा रुको में मेरे दोस्तों को पूछता हु की पार्टी की वेवस्था हुई की नहीं
बदक : ठीक हे हे जल्दी आना
साप : कुछ देर में ,अपने साथियों को लेके आता हे और
( साप और उसके दोस बदक को घेर के जोर जोर से हस्ते हे )
हाहा हाहाह हाहाह हाहाह हाहा
बदक : तुम लोग इतना क्यों हस रहे हो मुझे डर लग रहा हे
साप: अरे बेवकूफ बदक तू घमंडी तो हे ही लेकिन मुर्ख भी हे ,में और मेरे दोस्त बोहोत भूके हे
आज तो पार्टी होगी लेकिन हमारी होगी ओ भी तुजे खा के हाहाह हाहाह हहह हाहाह
बदक : तुम तो बोहोत जालिम निकले साप ,बचाओ बचाओ बचाओ बचाओ ये साप मुजे खा लेंगा
साप : हस्ते हुए हाहा हाहा हाहाह यहाँ पे कोई नहीं आयेंगा ये मेरा इलाका हे .
(कोव्वे को थोड़ी भनक लगती हे की नदी के उस पार कुछ तो गड़बड़ हे ओ उधर चला जाता हे )
साप और उसके मित्र बदक को खाने ही जाते है तो उसी वक्त कोव्वा आता हे और
कोव्वा: रुक जा साप
साप : कोण हे बे सामने आ
( अपने सभी साथियों के साथ आता हे और साप को और उसके मित्र पे हमला बोलता हे )
कोव्वा : तू बोहोत ही नीच निकला रे साप अब तेरी खेर नहीं
सभी कोव्वे साप को नोच नोच के मार देते हे .
बदक : कोव्वा भेया में गलत था मेने आप के साथ अच्छा वेव्हार नहीं किया आप को बुरा भला
कहा आप को गाली दिया मुजे माफ़ कर दो भेया
कोव्वा : कोई बात नहीं बदक साहब गलती होती रहती हे ,लेकिन इस दुनिया में उच नीच काला गोरा
कुछ नहीं होता मेरे दोस्त .जो समय पे काम आता हे ओ ही सच्चा दोस्त हे ,और ये ही जिंदगी हे
बदक : हा भैया में हमेशा यद् रखूँगा .
उस दिन से दोनों भी मस्त मिलजुल के रहने लगे
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