Hindi Kahaniya
प्रजा ने राजा का
स्वागत क्यू नहीं किया ?
(Praja ne raja ka swagat kyu nahi kiya )
एक बार राजा कृष्णदेव राय मुख्यमंत्री से बोले , अपना विजय नगर सबसे स्वच्छ और
सुन्दर बनाव
जो की देशो-विदेशो में वो सबसे अनन्य लगना चाहिए | और इसके लिए जितना भी खर्च
लगेगा
उतना
लगाव |
और बाद में फिर मुख्यमंत्री ने अपना
काम शुरु किया |
कुछ दिनों में ही चारो तरफ विजय नगर के सुन्दरतेकी प्रशंषा होने लगी |
और कुछ साल बाद राजदरबार भरा | महाराज बहुत खुश थे |
महाराज बोले ,
मुख्यमंत्री ने रात-दिन परिश्रम करके विजय नगर को सबसे सुंदर नगर बनाया है |
देश-विदेशो में विजय नगर के सुंदर तेकी प्रशंसा हो रही है |
ऐसा बोल के महाराज ने मुख्यमंत्री का अभिनंदन किया |
बाद में महाराज ने घोषणा की , की अब इसमें किसीको कुछ कमतरता दिखाई दी
तो अवश्य बताये ; क्यों की वो भी दूर की जाएगी |
दरबार के सब मंडल हा महाराज ... हा महाराज ...बोल रहे थे |
वो विजय नगर की प्रशंसा करते, करते थक नहीं रहे थे|
लेकिन तेनालीराम कुछ भी बोल नहीं रहा था |
ये देखकर राजपुरोहित बोले , महाराज इधर देखो |
तेनालीराम कैसे उदास बैठे है ! लगता है उन्हें विजयनगर की प्रशंसा देखी नहीं
जा रही है .”
महाराज ने तेनालीरामा के तरफ देखा और पूछने लगे ,
तेनालीराम ,
ऐसे चुप चाप क्यू बैठे हो ? तुम्हे विजयनगर की सुंदरता में कुछ कमतरता दिखाई
दे रही है क्या ?
तेनालीराम बोला , महाराज ,
विजयनगर निसंशय सुंदर हो गया है ; लेकिन...
लेकिन क्या ? महाराज ने पूछा |
तेनालीराम बोला ,
ये शब्द में बताना बहुत मुश्किल है |
हम नगर का दर्शन लेने जाते है |
क्यू की मुझे जो आपको बताना है वो आपके समज में आएगा |
महाराज ने रथ बुलाया और तेनालीरामा को लेकर वो नगर का दर्शन करने गए |
रथ राजमार्ग से दोड़ने लगा |
राजा को बहुत आश्चर्य हुआ |
हमारे स्वागत के लिए आज राजमार्ग पर प्रजा क्यू उपस्थित नहीं है ?
पहले तो लोग राजमार्ग के दोनों बाजु में खड़े रहते थे |
लोग हमारा जयजय कर करते थे |
और हमपर पुष्प डालकर हमारा स्वागत करते थे...
आज सब कुछ सुना-सुना क्यू है ?
चारो तरफ इतना सन्नाटा क्यू है ?
प्रजा की ये उदासीनता महाराज को अच्छी नहीं लगी
उन्होंने तेनालीरामा से पूछा ,
मेरे स्वागत के लिए पुष्प लेकर खडी रहने वाली प्रजा क्यू नहीं दिखाई दे रही है
?
तेनालीराम बोला ,
महाराज ,
रास्ता अस्वच्छ ना हो जाये , इसलिए मुख्यमंत्री ने रास्ते पर कुछ भी फेकने से
मना किया है |नगर में किसी भी प्रकार का आवाज नहीं होना चाहिए |
इस प्रकार के आदेश से प्रजा अबोल है |
महाराज विचार करने लगे |
रथ दोड़ रहा था .
अब गरीबो की वस्ती लगी |
वहा महाराज ने देखा की , लोगो को पहनने के लिए अंगभर कपडा भी नहीं है |
महाराज को लगा , इन लोगो को पेट भर के खाना भी नहीं मिलता होगा ...
महाराज को बहुत बुरा लगा, वो बोले ,
मेरे राज्य में इतनी गरीबी ?
तेनालीराम बोला ,
नगर की सुंदरता बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री ने लोगो पर बहुत कर बढ़ाये है और नए
नये जाचक
कर लगाये है |
महाराज बोले ,
जिसके कारण मेरी प्रजा मुझसे दूर हो जाये ऐसी सुंदरता किस कम की ?
राजवाड़े में आकर महाराज ने मुख्यमंत्री को बुलाया और वो बोले ,
प्रजा पर लादे गए कर जल्द ही लिकाले ,लोगो पर लगाये हुए अनावश्यक मनाई –हुकुम
जल्द ही पीछे ले और विजयनगर के सुन्दरतेकी विवेकपूर्वक जोपासना करो |
बाद में तेनालीरामा के खांदे पर हाथ रखकर महाराज बोले ,
शाब्बास तेनालीराम ,तूने सचमुच में मेरे आख खोल दिए |
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