हिरन को हुवा शेर से प्यार।।
: एक दिन की बात है ,सुंदरबन नाम का जंगल था उसमें सब पशु
पक्षी ओर जानवर खुशी से रहते थे और अपना जीवन बिता थे
एकदिन कुछ ऐसा हुवा की जिसका कोई भी अंदाजा नही लगा सखा
,बोहोत गर्मी चल रही थी मई महीना समाप्त होने को था और सब
बारिश की राह देख रहे थे ,लेकिन बारिश का कोई अता पता नही था।
सब जानवर भूक से तड़प रहे थे ,शेर ,शेरनी ,चिता ,सिहार, हिरण
,हाती सभी भूखे थे ,बारिश के कारण न तो फसल थी न ही कोई
शिकार खाने को था।
भुकमरी के हालात देख के ,जंगल के राजा याने सिंह ने जल्द ही
बैठक बुआई ओर उसमे सभी जानवरो को निमंत्रण देखे बुलाया
दूसरे दिन सभी जानवर हाजिर हुए और सिंह की बात सुनी।
उसने सभी को ये बोला कि ,जब तक बारिश नही होती कोई भी
शिकार नही करेंगा एक दूसरे को नही मारेगा ये ही है जंगल का
कानून ,ओर सभी ने ये बात मानली,
शेर ,सिंह का बोहोत ही अच्छा मित्र था ,शेर ने सुजाव दिया क्यों न
हम सब जानवर जब तक बारिश नही होती नीली नदी के पास बस
जाए और कुछ बाते करे ,सिंह बोला ठीक है ,क्या सभी जानवर
चलना चाहोंगें नीली नदी के किनारे थोड़ी बाते करेंगे ,सब ने बोला
ठीक है चलो,,
सभी चल दिये, सबसे पीछे एक हिरण थी जो सिंह के मित्र शेर को
देख रहि थी
,
ओर शेर की नजर भी उसपे पड़ी लेकिन शेर ने देख के अनदेखा कर
दिया,
सब नदी के किनारे पोहचे ओर राजा बोला देखिये डरने की कोई
आवश्यकता नही है कोई भी किसीका शिकार नही करेगा।
ओर जब तक बारिश नही होती सब अपने विचार वेक्त कर सकते हो
,किसको कुछ कहना है।
हिरण बोली है राजा मुझे कुछ कहना है
राजा : बोलो
हिरन : राजा क्या ये सही बात है कि जंगल का कानून अमल में लाना
पड़ता है
राजा :हा
हिरण : राजा में सोच रही थी कबसे ये बात आपको बताऊ लेकिन
अवसर नही मिला लेकिन आज सब के सामने आप को बताती हु
क्या में अपनी बात रख सकती हूं
राजा : हा बिल्कुल
हिरन:राजा में आपके मित्र शेर से बोहोत प्यार करति हु ओर उनसे
शादी करना चाहती हु
(सभी जानवर हक्के बक्के राह गए ,सभी बाते करने लगे )
हाती: ये पागल हो गई।
लोमड़ी : इसकी शामत आ गई है
बन्दर: शादी के बाद ही शेर का निवाला बनेंगी ये मूर्ख।
जंगली कुत्ते: हम क्या मर गए थे।
राजा: खामोश बेठो सब लोग
हिरन क्या कह रही हो तुम
हिरन: ये सच है
शेर : राजा ये झूट है वैसे कोई बात नही।
माना कि मैने कभी इसे खाया नही ,ये मेरे नजरो के सामने रहती थी
लेकिन मेरा मन इसे कभी खाने नही हुवा।
तोता: अबे मूर्क इसेही तो प्यार कहते है कोई शक।
शेर : तुम चुप बेठो तोते।
सिंह: हिरन देखो बैठा ये जंगल के कानून के खिलाप है ,अभी ठीक है
पानी की कटौती है कोई एक दूसरे को नही मरेगा।
लेकिन समय आने पर सब शुरू होगा
है ना शेर ,तुम इसे (हिरन) को मारओगे न नही तो भूखे मर जाओगे।
शेर : नही में इसे नही मारूँगा ये मेरी दोस्त है
हिरन : राजा में इस से ही शादी करूँगी
शेर : है मूर्ख हिरन मेरे मन मे तेरे लिए सिर्फ आदर है बाकी कुछ भी
नही
अगर में भूक रहूंगा तो तुम्हें ही खा जाऊंगा में शेर हु कोई तेरी
बिरादरी का नही हु
हिरण : राजा इसे कहो कि मुझे खा जाओ लेकिन मुझे कोई फर्क नही पड़ता
शेर : राजा अब तुम ही इसे बराबर करो।
सिंह को लगा कि मामला थोड़ा गंभीर है तो सिंह ने बड़े हिरण के
रानी को बुलाया और हिरन जो कि शेर को चाहती थी उसको
समजाने को कहा ,बड़ी मुश्किल से हिरण मान गई और जिद छोड़ दी
सभी जानवर कुश थे ,शेर भी खुश था ,ओर हिरन भी
तभी बारिश आई और सभी के मन मे उम्मीद की किरण जगी
ओर सब पेले जैसा हुवा। सभी खुशी खुशी रहने लगे।
1 Comments
Very intresting story
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