शेर और बंदर की दुश्मनी
(Hindi
jungal ki kahaniya)
प्यारे बच्चो इंसानों की तरहा जंगल के जानवरो में भी जमीन के कब्जे को लेकर कई बार लड़ाई हो ज्याती है|
ऐसे ही एक बार एक पहाड़ी पर बंदरो का कब्जा था ।
अचानक एक दिन वह एक शेर रहने आ गया ।उसने आ कर एक पहाड़ी की गुफा पर कब्जा कर लिया ।शेर के वहा
आ जाने से बंदरों को परेशानी हो गई ।मगर शेर था कि अपने सेक्रेटरी सियार के साथ उस गुफा में मस्त था ।
एक दिन सारे बंदर हिम्मत करके शेर के पास शिकायत करने पहुंच गए ।शेर राज, आपके इस पहाड़ी पर आ
जाने से हम बंदरो के परिवारों को तकलीफ़ हो गई है कृपया आप यहां से चले जाए ।
कहा चला जाऊ ? वहीं जहा पहले रहते थे ।
क्यू चले जाए सारी दुनिया जानती है कि शेर गुफा में रहते है और बंदर पेड़ पर ।ये यही रहेंगे तुम लोग पेड़ पर
जाओ ।नहीं ...तुम यहां से जाव । तुम्हे पता है तुम किससे बात कर रहे हो एक पंजे कि अोकात है
तुम्हारी लेकिन मै वादा करता हू मै तुम लोगो को तब तक तकलीफ़ नहीं दूंगा जब तक की तुम लोग मुझे तकलीफ़
न दो ।लेकिन हमारे कूदने से तो आपको तकलीफ़ होगी ।नहीं होगी। तुम लोग यहां पर नहीं पेड़ पे जाकर कुदो
समझे।शेर का रेवैया बंदरो को पसंद नहीं आया उन्होंने आपस में मीटिंग की ।
की कुछ भी हो जाए हमें शेर को अपने पहाड़ी पर रहेने नहीं देना है। और बंदरो ने शेर को भगाने की कोशिश शुरू
कर दी ।
सियार खाने के बाद तालाब पर पानी पीने जाना बड़ा बोरिंग काम है|
आज तुम पानी लाकर यही गुफा में रख दिया करो जो आज्ञा शेर राज । लाव बेटा पानी तुझे नानी याद न दिलाई
तो कहैना।हम तुझे यहा पानी पीने देंगे ही नहीं तू खुद ही गुफा छोड़ कर चला जाएगा ।
और उसके बाद सिलसिला शुरू हो गया । सियार जैसे ही पानी लाकर गुफा के बाहर रखता ,बंदर चुपचाप द बे पाव
आते ,और उसके पानी के कथोते में एक बास घुसाते उसकी दूसरी तरफ से मुंह से पानी खिचाते और पहाड़ी के
नीचे के तरफ झुका देते , कठौते का सारा पानी ,बम्बू के थ्रू नल की तरह बहाकर पहाड़ी के नीचे आकर गिर
ज्याता ।
कठौता खाली होते ही बंदर ,बम्बू उठाकर भाग ज्या ते ।पहले दिन तो कठौता खाली देख कर शेर ने सियार को
खुप फटकार लगाई| सियार मैंने तुमसे कहा था कि इस कठौती को पानी से भर देना ।तुमने मेरा इतना सा काम
नहीं किया ? किया तो था शेर राज मैंने तभी पानी लाकर पूरा कठौता भर दिया था ।
तो सारा पानी कहा गया ? हो सकता है धूप में सुख गया हो । कल ज्या दा पानी ले आऊंगा।
और दूसरे दिन जैसे ही सियार कठौते में पानी भरकर लाता है ,बंदरो की डोली फिर बम्बू लेकर आती है और उसका
पानी खींचकर पहाड़ी से नीचे कर देती है ।एक बार फिर सारा पानी नीचे गिर ज्याता है ।सियार मैंने तुमसे कहा
था
कि कठौते को पानी से पूरी तरह भर देना ,कठौता पूरी तरह खाली है लगता है तुम पूरी तरहा काम चोर होते ज्या
रहे हो तुम्हे अपने सेक्रेटरी पद से हटाना होगा ।
नहीं शेर राज मैंने तो पूरा कठौता भर दिया था । ओवर फ्लो कर दिया था ।फिर पानी कहा चला गया ? वहीं तो
पता नहीं ।और तीसरे दिन सियार पानी कठौते में लाकर भरता है और शेर के साथ गुफा में छुप ज्याता है ।तभी वे
देखते है बंदर डोली बम्बू ले आती है बम्बू का एक कोना पानी में डालती है दूसरे में मुंह लगाकर खींचती है पानी
नल की तरह बम्बू से निकलता है ।ये देख सियार कहेता है देखा शेर राज…
देखा ... देखकर भी आप चुप है ।
छलांग लगाई ये सारे के सारे एक एक पंजे के शिकार है| नहीं , देखते है कब तक हमारे साथ ऐसा करेंगे ।कल से
हम आधा पानी अंदर रखेंगे और आधा पानी उन्हें फेक कर खुश होने देंगे ।और फिर ये सिलसिला कहीं महीने तक
चला ।यहां तक कि उन्होंने देखा कि शेर उन्हें पानी नीचे फेकते हुए देख रहा है ।उसके बाद उन्होंने कई बार नोट
किया कि शेर ने उन्हें कई बार पानी फेकते हुए देख लिया ।
मगर फिर वो कभी कुछ कहेता क्यो नही है? यहां तक कि शिकार कर के फौरन लोतता है इतनी जल्दी उसे
शिकार कैसे मिल ज्याते है ।आखिर ये सारी बातों ने बंदरो को इतना परेशान किया की उन्होंने एक दिन शेर के
पास आकर पूछ ही लिया।शेर राज हम बंदरो कि डोली बहोत परेशान है ।
क्यूं मैंने ती परेशान नहीं किया ।
इसीलिए तो परेशान है कि आपने हमें परेशान नही किया ।
मै समझा नहीं तुम कहेना क्या चाहते हो ।
हम अपके पीने का पानी पिछले दो महीने से पहाड़ के नीचे गिरा देते है और आप हमें देखते भी है।
हा देखता हूं ।
फिर आप हमें कुछ कहते क्यों नहीं । हमपर घुसा क्यों नहीं होते ।आखिर हम आपके साथ इतना बुरा करते है
आपका नुक़सान करते है।
कोई नुक़सान नहीं करते ।बल्कि तुम लोगो की वजह से मेरा फायदा हो रहा है।
फायदा कैसा फायदा?
तुम लोगो ने देखा नहीं आज कल मै कितने जल्दी शिकार करके आ रहा हू ।यही तो मेरा फायदा है ।
हम समझे नहीं ।
तुम लोग पिछले दो महीने से जो पानी पहाड़ के नीचे गिरा रहे हो उसके वजह से पहाड़ के नीचे हरी ,हरी घास जम
गई है ।use चरने के लिए नीचे हिरण , जिराफ,बकरी आ ज्याते है ।
वो नीचे मुंह करके चरते है और मै पहाड़ से उतर के उनका शिकार करके आ जाता हूं ।
तुम लोगो के मेहनत की वजह से मुझे शिकार की मेहनत नहीं करनी पड़ती ।
कमाल है और हम लोग तो आपका पीने का पानी फेककर खुश हो रहे थे ।हमें लगा कि हम आपका नुक़सान कर
रहे है । नुक़सान तो कर ही रहे थे ।
सिख : पर एक बात याद रखना ,की कोई भी अपना नुक़सान करे तो हमे उस नुक़सान से निकलने का रास्ता ही नहीं निकालना चाहिए बल्कि उसके नुक़सान से होने वाला फायदा ही धुंड लेना चाहिए ।
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