कबूतर के चार अंडे थे जिनका वो दिन भर ध्यान रखता था ।
लेकिन वे जानता था कि सामने के पेढ़ के नीचे एक नेवला रहता है जिसकी नजर हमेशा अंडे पर बनी रहती है क्या करू इस नेवले कि नजर हमेशा मेरे अंडे पर रहती है ।मुझे मेरे बच्चो को इस नेवले से बचाना है। पर कैसे बचावू ।कबूतर दिन रात यहीं छोचता रहता था। मगर इस दर से वो कहीं आजान नहीं पाता था ।उसकी एक दोस्त थी उसने उससे पूछा ,
क्या बात है ? आज कल तुम कहीं नहीं जाते। क्या करू दोस्त में जानता हूं कि मेरे जाते हि ये नेवला मेरे अंडे को खा जाएगा ।मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है पहले इसका इंतज़ाम करना पड़ेगा ।तुम ठीक कहते हो एक उपाय बतावू हा हा हा बताव ।शाम को हाथी नदी किनारे पानी पीने आ जाते है । क्यूं न उनके आने से पहले नेवले को बिल से बाहर निकाला जाए । ये बहुत अच्छा उपाय है |कबूतर ने इसी मोकेका फायदा उठाया |
शाम को जब हाथी पानी पीने के लिए उस तरफ आए तो कबूतर ने चालाकी से नेवले के बिल के पास जाके कहा कि में जानता हूं तुम्हारी नजर मेरे अंडे पर है मगर मुझे बहोत जरूरी काम से बाहर जाना है ।बाहर आव मेरे चार अंडे है । दो तुम खालो मगर वादा करो दो को कोई नुक़सान नहीं पोहचाओगे नेवला इस लालच में बाहर आता है
और जैसे ही नेवला बाहर आता है ,क्या कहा दो अंडे सच, नेवला यह सुनकर बहोत खुश होता है ।और तभी वाहा से हाथी गुजरते है और हाथी के पैर के नीचे नेवला आ जाता है। कबूतर उड़ ज्याता है और अपने अंडे के पास सुरक्षित पहोच ज्याता है ।अपने दोस्त के मदत से कबूतर ने नेवले का नाम निशान मिटा दिया ।
और अपने अंडे को बचा लिया । देखा आज मैने इस नेवले का नाम,निशान मिटा दिया तुम्हारा बहुत बहुत शुक्रिया।
धन्यवाद
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