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एक था बंदर का बच्चा वो यहां से वहां वहां से यहां छलांग लगाता था। एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर छलांग लगाता। 
छलांग उड़ाते समय अपनी पुंछ ऊपर उड़ाता था ।एक बार चिड़िया को पुंछ की मार लगी ,एक बार घोसले को मार 


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लगी चिड़िया की आंख फूटी और उसका घोसला भी तूटा देखकर बंदर का बच्चा हसने लगा
एक आम के पेड़ पर वह हमेशा जाता था उस पेड़ पर मधुमक्खी यों का छत्ता था
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एक बार बंदर का बच्चा उस 
छत्ते के नीचे गया वहां से छलांग लगाते समय पुंछ के फटकार से दो मधुमक्खियां मर गई। रानी मधुमक्खी बंदर
के बच्चे पर ग़ुस्सा हो गई उसने बच्चे से कहा तुम इस पेड़ पर मत आना अगर आए भी तो निचली टहनी पर 
छलांग मत लगाना और अगर छलांग लगाई तो पुंछ मत उड़ाना बंदर का बच्चा बोला मेरी तो यह आदत है मेरा तो
ध्यान ही नही रहता
दूसरे दिन फिर वहीं हुआ बंदर के बच्चे ने छत्ते के नीचे छलांग लगाई और पूछ की फटकार से चार मधुमक्खियां 


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मर गई रानी मधुमक्खी ने बच्चे की मां को बुलाया उसने बच्चे की मां से कहा आप अपने बच्चे को संभाले उसे 
अच्छे तरह से समझा उसने कल दो मधुमक्खियों को मारा और आज चार को मारा  बच्चे की मां ने कहा अरे 
वो तो बहुत ही नटखट है हमारी सुनता ही नहीं पुछ की फटकार लगाने की उसकी आदत है तुम्हारी छत्ते की 
मधुमक्खी को किसी और ने मारा होगा मेरा अच्छा बेटा है कभी किसी और को नहीं मार सकता
तीसरे दिन बंदर के बच्चे ने छत्ते की टहनी जोर जोर से हिलाई और उसने दो तीन बार पुंछ की फटकार लगाई 
रानी मधुमक्खी ने शीपाई मधुमक्खियों को कहा इस नटखट बच्चे को दंड दो
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सिपाई मधुमक्खियां बच्चे के पास दौड़कर गई और उन्होंने बच्चे से कहा ये बच्चे तुम छत्ते के पास अपने पुंछ 
की फटकार क्यों लगाते हो बच्चा बोला यह तो मेरी आदत है में कुछ नहीं कर सकता सिपाई मधुमक्खि आगे आईं 
उसने बच्चे के नाक पर काटा बच्चा बोला ये क्या ,ये क्या मेरी नाक पर जलन हो रही है मधुमक्खी बोली यह तो 
मेरी आदत है दूसरे मधुमक्खी ने बच्चे के बाए कान पर काटा और बोली यह मेरी आदत है ।तीसरे मधुमक्खी ने 
बच्चे के दाएं कान को काटा और बोली यह मेरी आदत है बच्चे के पूरे हाथ, पैर और शरीर पर कई मधुमक्खी यों ने


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काटा और कहां यह हमारी आदत है ।अब बंदर का बच्चा रोने लगा और कहेने लगा कोई मुझे बचाव,कोई मुझे 
बचाव मेरे पूरे शरीर में जलन हो रही है अब मैं कभी भी पुछ की फटकार नहीं लगाऊंगा मैंने वह आदत छोड़ दी है 
मुझ पर दया करो 10 दिनों के बाद वह ठीक हुआ ।आते जाते सबको पुंछ की फटकार लगाने की उसकी आदत 
छूट गई और फिर कभी उसने किसी को पुंछ की फटकार नहीं लगाई

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