
नंदपुर नाम का एक गांव था उस गांव में हरी और शाम नाम के दो किसान रहते थे ।
हरी शरीर से मोटा और बल-वान आदमी था और शाम बिल्कुल दुबला ,पतला और शक्तिहिन आदमी था ।
हरी और शाम दोनो जीगरी दोस्त थे ।
एक दिन दोनो सुबह ,सुबह खेतों की अवजारो के लिए पास के गांव में यानी चंदन गांव जाने को निकले ।
चलते चलते मजाकिया स्वभाव वाले हरी को शाम का मज़ाक उड़ाने का दिल हुआ उसने कहां क्यों भाई शाम तुमने साथ में तलवार, चाकू ,सुरी या तो कम से कम खंज़र तो रखा है ना ?
सीधे सरल हरी ने कहा ,नहीं रे शाम ,पर इसकी ज़रूरत क्या है ?
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शाम ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा ,भाई रास्ते में अगर कोई शेर सामने आया तो सामना करते हुए मरने कि तस्सली तो मिलेगी न तुम्हें ।
हरी बोला, भाई क्यों मज़ाक उड़ा रहे हो तुम ,अगर कई वो शेर तुम्हारे सामने आकर खड़ा हुआ तो क्या तुम बचने वाले हो ?
उत्साहित होते हुए शाम बोला ,अरे हरी पतला भले ही हूं पर निर्भर नहीं हूं मैं खानदानी शिकारी हूं मैं खानदानी।

अरे पिछले ही हफ्ते इस जंगल से शेर की टांगें लेकर आया हूं मैं …आश्चर्य से हरी बोला ,क्या बात कर रहे हो शाम तुम तो बड़े ही शुर वीर हो पर उस शेर की टांगें लाने के बजाय तुम उसका सर काहे नहीं लाते घर की शोभा तो बढ़ जाती थी ना ।
अरे हरी सर कैसे लाता वो तो पहले ही को हीं काटकर ले गया था ना... हरी उसका मज़ाक उड़ा रहा है ये देखकर शाम ने भी हरी का मज़ाक उड़ाने का सोचा ।
उसने हरी से कहा , आ हा ये तो कुछ भी नहीं है ,परसों की ही बात है मेरे सामने चार शेर आकर खड़े हो गए पर एक कि भी हिम्मत नहीं हुई मुझे हाथ लगाने की ।

हरी बोला क्या ?चार शेर तुम्हारे सामने आकर खड़े हो गए ?पर किसी ने कुछ भी नहीं किया ऐसा क्यों ?शाम अपनी हसीं छुपाते हुए कहा अरे तब में सर्कस देख रहा था ना ।
अब शाम अपना मज़ाक उड़ा रहा है ये समझने पर हरी बोला क्या शाम अब तुम मेरा मज़ाक उड़ा रहा है क्या? अरे मै तो वक्त कट जाए इसलिए मज़ाक कर रहा था ।
हरी ने गंभीरता से कहा अरे शाम मज़ाक की बात छोड़ जरा ठीक से सोचों अगर सच में हमारे सामने कोई जानवर आ गया तो क्या होगा रेे अपना ?
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इतनी चिंता क्यों कर रहा है हरी में हूं ना में उस जानवर से भिड़ जाऊँगा और तुम्हें बचाऊंगा ।
शाम की बात सुन कर हरी के जान में जन आ गई। हरी अरे तुम्हारी बात सुनकर तो मुझे बहुत ही आराम मिला तुम्हारे जैसा दोस्त मिलने के लिए मेरा ये कितना नसीब।
ऐसे ही बाते करते हुए शाम और हरी चलते गए, चलते चलते अचानक ही शाम ने कहा, हरी तुम्हें पेड़ पर चढ़ना आता है क्या ?
हरी ने कहां नहीं तो पर क्यों ? तुरंत ही शाम बोला पेड़ पर चढ़ना नहीं आता तो भाग जाओ वहां देखो सामने से भालू आ रहा है
शाम की बात सुन कर हरी के जान में जन आ गई। हरी अरे तुम्हारी बात सुनकर तो मुझे बहुत ही आराम मिला तुम्हारे जैसा दोस्त मिलने के लिए मेरा ये कितना नसीब।
ऐसे ही बाते करते हुए शाम और हरी चलते गए, चलते चलते अचानक ही शाम ने कहा, हरी तुम्हें पेड़ पर चढ़ना आता है क्या ?
हरी ने कहां नहीं तो पर क्यों ? तुरंत ही शाम बोला पेड़ पर चढ़ना नहीं आता तो भाग जाओ वहां देखो सामने से भालू आ रहा है

ऐसा बोल के शाम तुरंत ही पेड़ पर चढ़ गया और हरी के होश ही उड़ गए कैसे ही पेड़ पर चढ़ने की कोशिश करने लगा ,पर वो ऊपर चढ़ ही नहीं सकता था ।
आखिर हिम्मत हार कर उसने हरी से कहा , अरे भाई शाम मुझे हाथ दो और पेड़ पर खींच लो ।
हरी अगर तुम्हें पेड़ पर चढ़ा या तो पेड़ ही टूट जायेगा इसलिए अब तुम जल्दी से यहां से भाग जाओ ।

शाम अब मदद नहीं करेगा ये समझने पर उसके मन में एक विचार आया ,भालू कभी भी मरे हुए आदमी को नहीं खाता तो में यहां बिना सास लिए मुर्दे के तरह पड़ा रहूँ इसी में मेरी भलाई है , देखे तो क्या होता है नहीं तो में भाग भाग के कितना भागूंगा ऐसा सोच कर हरी उस पेड़ के नीचे शांति से सो गया ।
हरी ऐसा क्यों कर रहा है ये बात शाम के समझ में नहीं आई और भालू को नज़दीक आते हुए देख कर वो कुछ सोच भी नहीं सकता था ।
इस तरफ़ हरी को महसूस हुआ कि भालू बिल्कुल नज़दीक आ गया है हरी ने सास लेना बंद कर दिया भालू पेड़ के पास आया और ईधर उधर देखा। पेड़ पर शाम टहनी के पीछे छुप गया ।फिर भालू की नज़र पास में ही पड़े हुए हरी के और गई वो उसके पास गया और हरी का शरीर सूंघने लगा ।भालू ने हरी के पाव,पेट ,कान , मुंह सारे अंग सूंघ लिए

हरी जरा भी सास नहीं ले रहा था ये देखकर भालू को लगा कि वो मर गया होगा और भालू वहां से निकल गया ।
इसके बाद हरी उठा और उसने एक लंबी सास ली ।इस तरह ये सब देखकर आश्चर्य चकित शाम पेड़ से नीचे उतरा और हरी से पूछा कि क्यो भाई हरी उस भालू ने तुम्हारे कान में क्या कहा ?शाम ने सिर्फ भालू को मेरे कान सूंघते हुए देखा होगा इसलिए भालू ने कान में क्या कहा ऐसा शाम को लगा होगा ये बात हरी के समझ में आ गई और मो के का फ़ायदा उठाते हुए शाम को सबक सिखाने के इरादे से हरी बोला ,अरे शाम भालू ने मेरे कान में एक मंत्र कहां ये सुनकर शाम बोला कोन सा मंत्र हरी ?
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हरी ने कहां अरे... भालू ने कहां की संकट के समय जो मदद करे वहीं सच्चा दोस्त होता है इसलिए अब तुम उस रास्ते से जाओ और में उस रास्ते से जाऊँगा ये सुनकर शाम बोला अरे हरी उस रास्ते पर तो बहुत सारे जानवर है हरी ने कहा रहने दे , रहने दे तेरे जैसे बेवफ़ा दोस्त से तो वो जानवर अच्छे है ।शाम ने गुस्से से कहां ठीक है तुम उस रास्ते से जाओ मैं इस रास्ते से जाऊँगा।इस तरह से वो दोनों अलग अलग रास्ते से चले गए ।शाम को रास्ते में शेर ने खा लिया ।

देखा दोस्तों बुरे रास्ते पर चलने वालो का अंजाम हमेशा बुरा ही होता है ।
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