panchtantra ki kahaniya | sachhi dosthi (hindi kids story)

 
panchtantra ki kahaniya | sachhi dosthi (hindi kids story)
रिदिमा और रचिता ये दोनों बहुत ही अच्छी सहेलियाँ थी। एक वक्त  कॉलेज से आते आते रचिता ने देखा कि एक 

बस तेज़ी से रिदिमा के और दोड़के रही हैं रचिता ने झट से अपनी जान की परवाह किए बगैर रिदिमा की जान 

बचाई और अपनी जान गवादी ।रिदिमा ज़ोर से चिल्लाई और मदद के लिए पुकारने लगी तभी वहां आसपास के 

लोगों ने रिदिमा को हॉस्पिटल ले जाने में रिदिमा की मदद की ।रिदिमा वहां डॉक्टर के पास रो रो कर बोली,

डॉक्टर प्लीज़ मेरी दोस्त को बचा लीजिए...


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डॉक्टर ने रचिता की नस चेक की ओर कहां i am sorry ये अब इस दुनिया में नहीं रही रिदिमा का रो रो कर बुरा 

हाल हो गया था ।उसी रात रिदिमा रो रो कर सो गई तभी उसके सपने में रचिता की मुलाक़ात हो गई रिदिमा: तुम

जिंदा हो मेरी दोस्त ?

रचिता : नहीं मेरी दोस्त मैं जिंदा नहीं हूं लेकिन मैं मरी भी नहीं हूं

रिदिमा:  क्या ?

रचिता : हा लेकिन मैं सिर्फ तुम को ही दिखाई दुंगी

रिधिमा की आँख खुलती हैं और वो रचिता को सामने देखकर बहुत खुश हो जाती हैं

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समय बीतता गया और रिदिमा कि शादी हो गई

रिदिमा और रचिता बाजार की खरीदी करने के लिए बाजार  जाती और जरूरत का सामान लेकर घर जाती

,रचिता रिदिमा का काम करने में उसका हाथ बंटाती, रिदिमा सब्जी बनाती तो  रचिता सब्जी को काट कर देती

रिदिमा: रचिता अब राजा आते ही होंगे तुम खाना खाकर चले जाव सुबह वो ऑफिर जाते ही लौटकर आना

रचिता : ठीक है रिदिमा मैं  सुबह वापस चली आऊंगी

रिदिमा का पति यश : रिदिमा मैं तुम को एक बात बताना ही भूल गया ,कल शाम मेरी मां रही हैं मेरी मां बहुत 

ग़ुस्से वाली औरत है

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तुम्हें थोड़ा संभाल लेना होगा ।तुम जानती हो ना अपनी शादी उनके मर्जिके खिलाफ हुई थी

रिदिमा : ठीक है यश मैं संभाल लूंगी तुम फ़िक्र मत करो और मैं अपने सास का भी ख्याल रखूंगी

यश : मैं बहुत किस्मत वाला हूं कि मुझे तुम मिली

अगले दिन ऑफिर जाते समय यश ने रिदिमा से कहां सुनो रिदिमा आज शाम तक मां जायेगी मैं जल्दी

जाऊँगा मां का ख्याल रखना  यश ऑफिर चला गया

रिदिमा ने नाश्ता तैयार किया और रचिता की राह देखने लगी कुछ समय के बाद रचिता रिदिमा के पास आईं और

पूछा क्या सोच रही हो रिदिमा ? चुप चाप बैठी हो ?

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 रिदिमा :रचिता आज मेरी सास रही है

रचिता : तो क्या हुआ तुम्हारी सास से बनती नहीं ?

रिदिमा : ऐसी बात नहीं है वो पहेली बार घर रही है और हमारी शादी उनकी मरजिके ख़िलाफ़ हुई थी पता नहीं

कैसे बर्ताव करेगी वो मुझे तो डर लग रहा है। और मुझे एक बात का और दुख है वो मुझे तुम को बताना है रिदिमा 

सोच में पड़ जाती हैं

रचिता : क्या सोच रही हो मुझे बताव ना

रिदिमा : तुम को पता है ना मेरी सास रही है मुझे तुम से दस दिन दूर रहना होगा अब तुम यहां खाने भी नहीं

सकती मेरी सास हमेशा मेरे साथ रहेगी इसी लिए में तुमसे बात भी नहीं कर पाउंगी , तुम्हें अच्छा अच्छा खाना

भी नहीं खिला पाउंगी  अगले दस दिन तक मुझे इसी बात का दुख रहेगा रिदिमा बहुत उदास हो गई और रचिता

को भी बहुत दुख हुआ

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रचिता: कोई बात नहीं रिदिमा सिर्फ दस दिन की बात है... तुम अपना ख़्याल रखना में अब दस दिन बाद मिलूंगी

अगर तुम्हें मेरी जरुरत पड़े तो मुझे ज़रुर पुकार लेना 

रिदिमा : रचिता तुम्हारे बिना दस दिन रहना बहुत मुश्किल होगा रिदिमा उदास हो गई

तभी किसी ने दरवाज़े पर खटखटाया

शायद मेरी सास गई है तुम जाओ जल्दी दरवाज़े पे सच में रिदिमा की सास खड़ी थी

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आइए मां जी अंदर आइए , बैठिए आपको आने में कोई तकलीफ़ तो नहीं हुईं ?

सास : तुम्हारी जैसी बहू मिली यही तो मेरी बदकिस्मती है

यह सुनकर रचिता को अच्छा नहीं लगा उसे सास पर बहुत घूंसा आया बुढ़िया का दिमाग़ खराब लगता है इसे

सबक सिखाना पड़ेगा

रिदिमा : मां जी आप नहा लीजिए में आपके लिए नाश्ता लगाती हू यश की मां अंदर चली गई और उसके जाने के

बाद रचिता रिदिमा के पास आई

रिदिमा : रचिता तुम अभी गई नहीं….

रचिता : तुम्हें अगर मेरी जरूरत हो तो मुझे एक बार ज़रूर पुकार लेना

रिदिमा : ठीक है।

सब खाने के लिए बैठ गए यश मां से पूछता है , मां तुम ठीक हो? तुम्हें आने में कोई तकलीफ़ तो नहीं हुईं ?

सास : में ठीक हूं बेटा तुम कैसे हो ?

यश : मैं भी ठीक हूं मां रिदिमा मेरा बहुत ख्याल रखती हैं

सास : मुझे तो नहीं लगता

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यश : ये तुम क्या कहे रही हो मां रिदिमा सच में मेरा बहुत ख्याल रखती हैं

यश : रिदिमा तुम मां कि बात का बुरा मत मानो

रचिता : बुढ़िया का दिमाग़ घास चरने गया है शायद मुझे ही इसे सबक सिखाना पड़ेगा रिदिमा तुम एक काम करो

रिदिमा  : क्या रचिता ?

रचिता : तुम अपने सास के लिए लड्डू बनाव

रिदिमा : ठीक है

यश : क्या कर रही हो रिदिमा ?

रिदिमा : में लड्डू बना रही हूं|

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सास : देख बेटा तेरी बीवी मुझे मारने की कोशिश कर रही है मुझे शुगर है और ये शक्कर के लड्डू बना रही हैं।

यश : रिदिमा तुम ऐसा क्यों कर रही हो।

रिदिमा : अरे देखो मां के लिए अलग लड्डू बनाए है मैंने मेथी के लड्डू ,मेथी शुगर के मरीज़ों  के लिए अच्छी होती हैं

यश : अरे रिदिमा तुम मा का कितना ख़्याल रखती हो

सास : ये तो बडी चालाक निकली

रात को खाना खाने के बाद मां  हाथ धोकर अपने कमरे में जाती हैं रास्ते में रचिता अपना पैर रखकर उसे गिरा देती हैं

सास : हाय, हाय.. मर गई मेरी टाँग टूट गई यश और रिदिमा भागकर मां को उठाते हैं अपने कमरे में ले जाते है।

रिदिमा अपने सास कि बहुत खिदमत करती हैं उस वक्त सास को एहसास होता है कि वो उसके बहू को ग़लत

समझ रही थी

सास : रिदिमा बेटा मुझे माफ़ कर दो मैंने तुम्हें ग़लत समझा

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रिदिमा : नहीं मां आप मेरी मां जैसी हो मुझसे माफ़ी मत मां गो।

रचिता : देखो रिदिमा तुम्हारे सास की अकल ठिकाने गई 

रिदिमा : हा रचिता तुम्हारा शुक्रिया

रचिता : शुक्रिया कैसा मैं तुम्हारी दोस्त हू तुम्हारी मदद करना मेरा फ़र्ज़ है

बाद में सब हसी खुशी से रहने लगे

 

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